वो कहता है मुझसे की मुझसे प्यार करता है
वो मुझमे जीता है मुझमे मरता है
वो कहता है मुझसे जहाँ देख तु मुझको पायेगा
चाहे राम को पूज ,कृष्ण के भजन कर
सब में मुझको पायेगा
ईसा,मूसा,नानक,कबीर में मैं ही हूँ
अल्लाह,मौला,महावीर, जीसस में मैं ही हूँ
वो कहता है की मुझसे प्यार करता है
वो मुझमे जीता है मुझमे मरता है
संगीत में,गीत में ,राग में, ताल में मैं ही हूँ
नृत्य में,छन्द में,रंग में,रूप में,धुप में,छाँव में
कण-कण मैं,मन के मीत में मैं ही हूँ
वो कहता है मुझसे की मुझसे प्यार करता है
वो मुझमे जीता है मुझमे मरता है
जीव में,मनुष्य में ,रजो-तमो-सतो गुण में भी
जड़ में भी चेतन में भी तु मुझको पायेगा
दोस्त में,दुश्मन में भी तुझे रूप मेरा नजर आएगा
सब भेद मिट जायेगा फिर क्रोध किस पर आएगा
वो कहता है मुझसे की मुझसे प्यार करता है
वो मुझमे जीता है मुझमे मरता है
तेरा दोस्त मैं,तेरा प्यार मैं,तेरा पिता मैं, तेरा भाई मैं
हम दोनों जब एक है मैं रूप हूँ तू अक्स है
तो खुद को कैसे अकेला पायेगा जिधर भी नजर गयी वहां
तुझे हर इंसान मैं भगवान् नजर आएगा सब भेद मिट जायेगा
वो कहता है मुझसे की मुझसे प्यार करता है
वो मुझमे जीता है मुझमे मरता है
सुन्दर भाव से भरा हुआ काव्य है|मेरी शुभकामनाये......
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