हम क्या है शायद यह हम जानते ही नही
या शायद जानकर जानना चाहते ही नही
हमें किसने बनाया क्यूँ बनाया यह मानते ही नही
या शायद जानकर हम याद करना चाहते ही नही
जब उसने यह दुनिया बनाई तो सोचा
उसके सपनों की नगरी में प्रेम ही प्रेम हो
तो उसने अपने स्वरूप पर हमें रचा
और अपनी शक्तियों से हमें नवाजा
सब कुछ देकर हमें इस धरती पर उतारा
और सोचा यह सब मेरे लखते जिगर संभालेंगे
हमने उसको ऐसी चोट करी
उसकी बनायीं दुनिया को शैतानी से भर डाला
अब भी देर नही हुई कुछ सोचो और अपना उद्धार करो
माया से निकल कर खोजो खुदको
और ईश्वर को स्वीकार करो
उसके सपनों को स्वीकार करो
सबमे वो रहता है सब अपना मन पाक करो
फिर सबमे वो दिखेगा तुमको
जब इश्क होगा जग में तो उसका देखा सपना सच हो जायेगा
जो उसने देखा अकेले स्वप्न
हम भी क्यूँ न उसके भागीदार बने
और देखें उसके साथ एक नया स्वप्न
आने वाले कल का.......आमीन |