जब भी में कभी खुश था शायद मैंने तुम्हें कभी याद न किया
जब भी में कभी दुखी हुआ उस क्षण तुमने साथ दिया
जब मैंने तुमको कोसा था आरोप तुम पर लगाये थे
तब भी तुम चुपचाप खड़े नम आँखों से सिसकाए थे
क्यूँ हो तुम ऐसे जो सब कुछ सह जाते हो
मुश्किल घडी में सिर्फ तेरे कदम नजर आये थे
मैं ये न देख सका उस क्षण में तेरे हाथों में था
और मेरी पाती के जख्म तुमने खाए थे
में ये देख न सका उस क्षण में की तुम इतना प्रेम करते हो
मुझ से दूर रहकर भी बिना कहे चुपचाप रहकर भी
मेरे गम अपने ऊपर लेते हो
ऐसा कर तुम दुनिया को क्या दिखलाते हो
प्रेम मुझसे करते हो और कुछ भी जबां से नहीं बतलाते हो
चेहरे से तुम्हारे दिखता है तुम झूठा दिल बहलाते हो
सोचता हूँ तुमने इतना किया मैं क्या कर पाऊंगा
बस अब तो यही चाहत है ,तेरे चरणों में अर्पण हो जाऊंगा
और दास तेरा कहलाऊंगा ,में भी प्रेम का प्रेम हो जाऊंगा
और दर्द को तेरे सहकर में धन्य धन्य हो जाऊंगा |
nice blog bro!!!
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