ये इश्क बड़ा पुराना है तुझ से मिलने का बहाना है
कविता लिख कर के कहता हूँ तुझ तक ये पैगाम मिले
बेवजह कहूँ तो मर जाऊं वजह है तब तो जीता हूँ
कल भी थी गहरी आस मुझे अब भी वही है प्यास मुझे
तुझ में खो जाता हूँ जब भी ये कलम उठे तो तेरे लिए
दिवाना हदों के पार में हो जाता हूँ |
ये इश्क ...........................................................
जज्बात कहूँ या कहूँ खुद को आखिर दोनों तुम ही तो हो
ये इश्क इबादत है मेरी खुद को खो कर मिल जाता हूँ
अब सब्र नहीं है मुझको है यकीं कि मुमकिन साथ तेरा
इस दुनिया से उस दुनिया तक साथ निभाना है
अब हमसे क्या पर्देदारी है ये जान सिर्फ तुम्हारी है
ये इश्क ...........................................................
ले चलों बादलों के पार मुझे या यहाँ रखो
दोनों में हिस्सेदारी है |
बेपनाह मोहब्बत है तुझसे यही गीत हमेशा गाता हूँ
यादों के झिलमिल झरोखों से शब्द कविता के उठाता हूँ
जब मिला था तू मुझसे कसमे दोनों ने खायी थी
वही प्रीत तो अब निभाता हूँ |
बहुत अच्छा लिखा है.....
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